चीन में अंग प्रत्यारोपण अपराधों को उजागर करने पर “डाफोह” को मदर टेरेसा मेमोरियल अवार्ड
प्रेस विज्ञप्ति
डाफोह” (डॉक्टर्स अगेंस्ट फोर्स्ड ऑर्गन हार्वेस्टिंग) के संस्थापक डॉ टॉर्स्टन ट्रे को 3 नवंबर 2019 को हार्मनी फाउंडेशन द्वारा आयोजित समारोह में प्रतिष्ठित मदर टेरेसा मेमोरियल अवार्ड प्रदान किया गया।
डाफोह को चीन मे हो रहे अनैतिक अंग प्रत्यारोपण को उजागर करने पर 2016 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए भी नामांकित किया गया था।
मदर टेरेसा अवार्ड का इस वर्ष का विषय था “गुलामी का मुकाबला”। डॉ ट्रे ने अपने शुरुआती संबोधन में कहा, “यह
पुरस्कार मदर टेरेसा के जीवन और विरासत का जीवंत स्मरण है। यदि गुलामी को वित्तीय लाभ प्राप्त करने के लिए मानव के शोषण के रूप में परिभाषित किया जाता है, तो चीन में जीवित फालुन गोंग अभ्यासियों से जबरन अंग निकाले जाने का अपराध, गुलामी का सर्वोच्च रूप है - यह मानव शरीर का सबसे बड़ा शोषण है”।
“हमारा काम कैसे शुरू हुआ? - 2006 में जब मैंने पहली बार सुना कि चीन में फालुन गोंग अभ्यासियों को प्रत्यारोपण के लिए जबरन उनके अंगों को निकाल कर मार दिया जाता है, तो मै सिहर गया। फालुन गोंग क्यों? फालुन गोंग के अभ्यासी शांतिपूर्ण होते हैं, वे ध्यान अभ्यास करते हैं, और वे सत्य, करुणा और सहिष्णुता के सिद्धांतों का पालन करते हैं। ये आध्यात्मिक सिद्धांत हैं और फालुन गोंग का अभ्यास करने वाले अच्छे लोग हैं। इसलिए जब मैंने जबरन अंग निकालने के बारे में सुना, तो मेरी पहली प्रतिक्रिया इस प्रत्यारोपण दुरुपयोग को रोकने की थी। लेकिन मुझे डर भी लगा: एक
व्यक्ति क्या कर सकता है, एक डॉक्टर की आवाज इस दुरुपयोग को कैसे रोक सकती है? इस तरह मुझे एहसास हुआ कि अपनी आवाज को बढ़ाने के लिए एक संगठन की आवश्यकता होगी, और इसके परिणामस्वरूप डाफोह की स्थापना हुई। पिछले 13 वर्षों में कई डॉक्टर शामिल हुए, कई चीजें हुईं। डाफोह का मार्ग दिखाता है: प्रत्येक अकेले व्यक्ति की आवाज़ मायने रखती है और दुनिया को बदल सकती है। ”
फालुन गोंग की शुरुआत चीन में 1992 में श्री ली होंगज़ी द्वारा की गयी। इसकी शांतिप्रिय प्रकृति के बावजूद फालुन गोंग का बढ़ता जनाधार चीनी कम्युनिस्ट शासकों को खलने लगा और 1999 में चीन में इस पर पाबंदी लगा दी। आज फालुन गोंग (या फालुन दाफा) भारत सहित विश्व के 114 से अधिक देशों में लोकप्रिय है जबकि चीन में इसका बर्बर दमन किया जा रहा है। फालुन दाफा पर अधिक जानकारी के लिए देखें:
डॉ ट्रे ने हाल ही में मनाई गई दिवाली के साथ एक समानांतर चित्रण करते हुए कहा, “दीवाली, रोशनी और अंधकार पर प्रकाश की विजय का त्योहार है। एक मोमबत्ती अंधेरे कमरे में प्रकाश ला सकती है। हमारा उद्देश्य उस मोमबत्ती की तरह है, और हम मानवता के खिलाफ इन अपराधों को प्रकाश में लाना चाहते हैं ... लोगों को जबरन अंग निकाले जाने के अपराध के बारे में सूचित करना। इसके लिए और अधिक लोगों तक पहुंचने के लिए हमें और भी अधिक प्रकाश की आवश्यकता है।
बाद में संपन्न प्रश्नोत्तर सत्र में, चीन में अंग तस्करी के मुद्दे पर एक युवा छात्र ने पूछा कि वह क्या मदद कर सकती है। डॉ॰ ट्रे ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ कहा, "आप एक साधारण पोस्टकार्ड लें जिसे आप अपने शहर में खरीद सकते हैं और इस संदेश के साथ चीन के राष्ट्रपति को भेज सकते हैं:
“फालुन गोंग अच्छा है। फालुन गोंग अभ्यासियों से जबरन अंग निकाले जाने का अपराध बंद करो।”
“डाफोह” को मानवता के खिलाफ इस जघन्य अपराध के बारे में जागरूकता पैदा करने मदर टेरेसा मेमोरियल अवार्ड प्रदान किया जाना उनके द्वारा किए जा रहे सराहनीय कार्य का एक प्रमाण है, और उम्मीद है कि जल्द ही चीन में इस शोषण का अंत होगा।
प्रेस विज्ञप्ति
डाफोह” (डॉक्टर्स अगेंस्ट फोर्स्ड ऑर्गन हार्वेस्टिंग) के संस्थापक डॉ टॉर्स्टन ट्रे को 3 नवंबर 2019 को हार्मनी फाउंडेशन द्वारा आयोजित समारोह में प्रतिष्ठित मदर टेरेसा मेमोरियल अवार्ड प्रदान किया गया।
डाफोह को चीन मे हो रहे अनैतिक अंग प्रत्यारोपण को उजागर करने पर 2016 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए भी नामांकित किया गया था।
मदर टेरेसा अवार्ड का इस वर्ष का विषय था “गुलामी का मुकाबला”। डॉ ट्रे ने अपने शुरुआती संबोधन में कहा, “यह
पुरस्कार मदर टेरेसा के जीवन और विरासत का जीवंत स्मरण है। यदि गुलामी को वित्तीय लाभ प्राप्त करने के लिए मानव के शोषण के रूप में परिभाषित किया जाता है, तो चीन में जीवित फालुन गोंग अभ्यासियों से जबरन अंग निकाले जाने का अपराध, गुलामी का सर्वोच्च रूप है - यह मानव शरीर का सबसे बड़ा शोषण है”।
“हमारा काम कैसे शुरू हुआ? - 2006 में जब मैंने पहली बार सुना कि चीन में फालुन गोंग अभ्यासियों को प्रत्यारोपण के लिए जबरन उनके अंगों को निकाल कर मार दिया जाता है, तो मै सिहर गया। फालुन गोंग क्यों? फालुन गोंग के अभ्यासी शांतिपूर्ण होते हैं, वे ध्यान अभ्यास करते हैं, और वे सत्य, करुणा और सहिष्णुता के सिद्धांतों का पालन करते हैं। ये आध्यात्मिक सिद्धांत हैं और फालुन गोंग का अभ्यास करने वाले अच्छे लोग हैं। इसलिए जब मैंने जबरन अंग निकालने के बारे में सुना, तो मेरी पहली प्रतिक्रिया इस प्रत्यारोपण दुरुपयोग को रोकने की थी। लेकिन मुझे डर भी लगा: एक
व्यक्ति क्या कर सकता है, एक डॉक्टर की आवाज इस दुरुपयोग को कैसे रोक सकती है? इस तरह मुझे एहसास हुआ कि अपनी आवाज को बढ़ाने के लिए एक संगठन की आवश्यकता होगी, और इसके परिणामस्वरूप डाफोह की स्थापना हुई। पिछले 13 वर्षों में कई डॉक्टर शामिल हुए, कई चीजें हुईं। डाफोह का मार्ग दिखाता है: प्रत्येक अकेले व्यक्ति की आवाज़ मायने रखती है और दुनिया को बदल सकती है। ”
फालुन गोंग की शुरुआत चीन में 1992 में श्री ली होंगज़ी द्वारा की गयी। इसकी शांतिप्रिय प्रकृति के बावजूद फालुन गोंग का बढ़ता जनाधार चीनी कम्युनिस्ट शासकों को खलने लगा और 1999 में चीन में इस पर पाबंदी लगा दी। आज फालुन गोंग (या फालुन दाफा) भारत सहित विश्व के 114 से अधिक देशों में लोकप्रिय है जबकि चीन में इसका बर्बर दमन किया जा रहा है। फालुन दाफा पर अधिक जानकारी के लिए देखें:
डॉ ट्रे ने हाल ही में मनाई गई दिवाली के साथ एक समानांतर चित्रण करते हुए कहा, “दीवाली, रोशनी और अंधकार पर प्रकाश की विजय का त्योहार है। एक मोमबत्ती अंधेरे कमरे में प्रकाश ला सकती है। हमारा उद्देश्य उस मोमबत्ती की तरह है, और हम मानवता के खिलाफ इन अपराधों को प्रकाश में लाना चाहते हैं ... लोगों को जबरन अंग निकाले जाने के अपराध के बारे में सूचित करना। इसके लिए और अधिक लोगों तक पहुंचने के लिए हमें और भी अधिक प्रकाश की आवश्यकता है।
बाद में संपन्न प्रश्नोत्तर सत्र में, चीन में अंग तस्करी के मुद्दे पर एक युवा छात्र ने पूछा कि वह क्या मदद कर सकती है। डॉ॰ ट्रे ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ कहा, "आप एक साधारण पोस्टकार्ड लें जिसे आप अपने शहर में खरीद सकते हैं और इस संदेश के साथ चीन के राष्ट्रपति को भेज सकते हैं:
“फालुन गोंग अच्छा है। फालुन गोंग अभ्यासियों से जबरन अंग निकाले जाने का अपराध बंद करो।”
“डाफोह” को मानवता के खिलाफ इस जघन्य अपराध के बारे में जागरूकता पैदा करने मदर टेरेसा मेमोरियल अवार्ड प्रदान किया जाना उनके द्वारा किए जा रहे सराहनीय कार्य का एक प्रमाण है, और उम्मीद है कि जल्द ही चीन में इस शोषण का अंत होगा।