मेरापुर फर्रूखाबाद
संकिसा स्थित भिक्षु संघ ने बुद्ध स्तूप परिसर में अवैध रूप से होने वाले विसारी देवी मेले को बंद कराने का प्रयास किया है। इसी सम्बंध में सीओ कायमगंज ने आज बयान दर्ज किये है। संकिसा भिक्षु एसोसिएशन के अध्यक्ष डा0 भिक्षु धम्मपाल थेरो ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के आदेश का पालन कराये जाने की मांग की। बीते वर्ष 3 जुलाई को आगरा स्थित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण कार्यालय के अधीक्षण पुरातत्वविद् ने जिलाधिकारी को पत्र भेजकर आदेश का कडाई से पालन कराने को कहा था। पत्र में पुरातत्व विभाग ने कहा था कि केन्द्रीय संरक्षित प्राचीन स्थल बाहरी कोर्ट संकिसा में स्थानीय लोगों द्वारा मेला लगाया गया है।
प्राचीन संस्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम 1958 के खंड 5 (6) एवं 8 (एफ) के प्रावधानों के अनुसार संरक्षित स्मारक में किसी धार्मिक आयोजन पर रोक एवं स्मारक क्षेत्र में नई परम्परा की शुरूआत करना नियम विरूद्ध है साथ ही प्राचीन संस्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष नियम 1959 के अनुसार किसी भी प्रकार के व्यवसायिक गतिविधियों तथा खाने पीने गंदगी फैलाना, विक्रत करना आदि पूर्णतः निषिद्ध है। उक्त मेला के आयोजन हेतु इस प्रकार की अनुमति देना उक्त नियमों के विरूद्ध है। पत्र में कहा गया कि पुरातत्वीय स्थल संकिसा परिसर से बाहर मेले की अस्थाई दुकाने या व्यवसायिक गतिविधियां स्थानीय प्रशासन की देखरेख व सहमति से की जा सकती है।
पत्र में डीएम से अनुरोध किया गया कि उक्त मेले के दौरान स्मारक परिसर में खाने पीने की सामिग्री तथा किसी भी प्रकार के व्यवसायिक गतिविधि धार्मिक आयोजन तथा नई परम्परा पर रोक लगाने हेतु सम्बंधित अधिकारियों एवं थाना प्रभारी मेरापुर को निर्देशित करने का कष्ट करे। ताकि राष्ट्रीय महत्व के केन्द्रीय संरक्षित स्थल की गरिमा को अक्षुण्ण रखा जा सके। आदेश की कॉपी एसपी, एसडीएम सदर एवं उप मंडल कन्नौज के जूनियर संरक्षक सहायक को भेजी गई। अदालत ने जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार आदि अधिकारियों को पुरातत्व विभाग के आदेश का कडाई से पालन कराने का आदेश दिया है।
भिक्षु संघ के अध्यक्ष डा0 भंते धम्मपाल थेरो ने अदालत के आदेश का पालन कराने के लिये पुलिस अधीक्षक को प्रार्थना पत्र दिया है। जिसमे उन्होने अदालत के आदेश का जिक्र करते हुये कहा है कि अदालत ने पारित आदेश में रिट याचिका दायर करने वाले को अपनी पीडा पुलिस अधीक्षक के समक्ष रखने एवं पुलिस अधीक्षक को व्यक्तिगत रूप से मामले को गम्भीरता से निस्तारण करने को कहा गया है। एसपी ने इस मामले की जांच सीओ कायमगंज को सौपी है। सीओ कायमगंज राजवीर सिंह ने आज पीडित पक्ष के साथ ही विरोधी पक्ष को भी अपने कार्यालय में बुलाया।
भिक्षु डा0 धम्मपाल थेरो ने बताया कि संकिसा प्रधान के प्रतिनिधि अतुल दीक्षित ने पुरातत्व विभाग के आदेश का विरोध करते हुये कहा कि काफी समय से विसारी देवी का मेला लगता है। तब सीओ ने मुझसे भी वहां दूसरी ओर मेला लगाने को कहा, तो मैने सीओ को बताया कि मै स्तूप से कई किलो मीटर दूर धम्मा लोको बुद्ध बिहार में मेला कई दशकों से लगवाता हूँ।
मैने सीओ को दर्ज कराये बयान में पुरातत्व विभाग के आदेश का पालन कराने तथा स्तूप परिसर में किसी भी पक्ष को मेले की अनुमति न देने की बात कही है। मेरी बात का समर्थन कर्मवीर शाक्य, डा0 देवेश शाक्य, भंते बुद्ध रत्न, ग्रीशचन्द्र शाक्य एवं भूपेन्द्र शाक्य उर्फ टीटू ने भी किया है। बैठक में अतुल दीक्षित कई समर्थकों को लेकर गये थे। सीओ अपनी जांच रिपोर्ट एसपी को देगे और एसपी ही तय करेगे कि अबकी स्तूप परिसर में विसारी देवी का मेला लगेगा अथवा नही।
मालुम हो कि स्तूप परिसर में प्रतिवर्ष अषाडी पूर्णिमा से 15 दिन पूर्व एक पखवारे के लिये विसारी देवी मेला लगाया जाता है। इस दौरान मेला परिसर में दर्जनों दुकाने लगाई जाती है, जिनमे महिलाओं के सौन्दर्य की दुकानों के अलावा खाने पीने की दुकाने लगती है। गैस सिलेंडर एवं कोयला भट्टी का भी प्रयोग किया जाता है। एक पखवारे तक मेला परिसर में भीषण गंदगी रहती है। बीते वर्ष मेला परिसर में घुसे किसी वाहन की टक्कर से गज स्तम्भ का चबूतरा क्षतिग्रस्त हो गया था। तत्कालीन पुरातत्व विभाग के चौकीदार इस्लामुद्दीन ने अधिकारियों के आदेश पर मेला लगने का पूर्व में ही विरोध किया था।
राजनैतिक दबाब में एसडीएम सदर ने पुरातत्व विभाग के आदेश को दरकिनार कर मेले की अनुमति प्रदान कर दी थी। मेले की अनुमति में मेला स्थल का खुलासा नही किया था। तत्कालीन थानाध्यक्ष महेन्द्र कुमार त्रिपाठी ने भी मेला संचालकों की मदद की थी। पुलिस ने चौकीदार को हडकाया था, विरोधियों ने प्रयास कर दबंग चौकीदार का तबादला करवा दिया था। अबकी बार भिक्षु एसोसिएशन ने स्तूप परिसर की सुरक्षा की जिम्मेदारी ली है, सभी बौद्ध अनुयायी इस मामले में भिक्षुओं की मदद करेगे। परम्परा के नाम पर गलत होने वाले कार्य को रोकने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन पर है।
ब्यूरो रिपोर्ट सोनू राजपूत