वृद्धाश्रम में मानसिक स्वास्थ्य रोग शिविर हुआ आयोजित - Time TV Network

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वृद्धाश्रम में मानसिक स्वास्थ्य रोग शिविर हुआ आयोजित

  

बुजुर्गो को बढ़ती उम्र के साथ हो सकती है भूलने की बीमारी 

समय रहते पहचान कर हो सकती है रोकथाम 


कासगंज। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत शुक्रवार को नई हवेली स्थित स्तिथ वृद्धाश्रम में मानसिक स्वास्थ्य  शिविर का आयोजन किया गया द्य साइकेट्रिक नर्स अरुण कुमार ने काउंसलिंग की और जनरल चेकअप भी किए गए। उन्होंने अशोकनगर में संचालित मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित ओपीडी के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य आगे बढ़ने मे सहायक है मन को नियंत्रित कण्ट्रोल करके मानसिक बीमारियों से बचा जा सकता है। इसका मुख्य उदेश्य बुजुर्गो की देखभाल तथा स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी संबधी अधिकार आदि के बारे में जागरूक करना है। यह बीमारी मुख्यतरू भूलने की बीमारी के नाम से जानी जाती है। इस बीमारी के प्रमुख लक्षण वृद्धावस्था श्रम में जरूरत से ज्यादा भूलना, एकाग्रता की कमी, बेचैनी के साथ - साथ चीजों के रखरखाव में कमी आदि है द्ययह बीमारी मुख्यतरू वृद्धावस्था श्रम में होती ते है लेकिन हम लोग इसकी रोकथाम युवावस्था से ही करें तो काफी कहीं हद तक इस बीमारी को रोका जा सकता है। बहुत सी बीमारियों जिन में डिमेंशिया जैसी स्थिति स्तिथि उत्पन्न हो जाती है, अगर उसी अवस्था में उनका इलाज किया जाए तो बुढ़ापे में भूलने की  बीमारी होने  की सम्भावना कम होती है। मानसिक रोग के नोडल बी के राजपूत ने बताया कि मानसिक रोगों से बचने के प्रमुख उपाय नियमित और अच्छी दिनचर्या, व्यायाम, संतुलित आहार लेना, दैनिक तथा साप्ताहिक स्वास्थ्य परीक्षण करना जरूरी है।  यदि किसी व्यक्ति को भूलने की बीमारी आदत बढ़ती जा रही है तो यह ये अल्जाइमर की ओर और बढ़ना हो सकता है, इसमें प्रारम्भिक अवस्था में व्यक्ति एक या दो महीने में जो घटनाएं हुई है उनको भूल जाता है, धीरे धीरे 10 से 15 दिन में जो घटनाएं उसके साथ हुई है, उनको भूलने लगता है इसके बाद मे पांच से छह दिन पुरानी बातों को भी व्यक्ति भूलने लगता है। इसके बाद स्थिति ऐसी आ जाती है कि फिर चैबीस 24 घंटे की घटना को भी भूलने लगता है द्य यह अवस्था हल्के लक्षणों से शुरू होती है और गंभीर रूप ले लेती है अर्थात व्यक्ति 1 या 2 मिनट पहले हुई घटना को भूलने लगता है और उसकी एकाग्रता शत प्रतिशत समाप्त हो जाती है।  इसका सम्पूर्ण इलाज सम्भव नहीं है। अस्थायी इलाज अपनी दिनचर्या नियमित करके, योग व्यायाम करके तथा मनोचिकित्सक की परामर्श लेकर किया जा सकता है इसलिए जरूरी है कि इस बीमारी के लोगों को जल्दी से जल्दी उनके घर वाले उनकी पहचान करें और उनको मनोचिकित्सक से यथासम्भव परामर्श कराएं और उनकी दैनिक क्रियाओ का ध्यान रखें। साईकेट्रिक नर्स अरुण कुमार  ने बताया कि सरकार के द्वारा वृद्ध लोगों के लिए बहुत सारी योजनाएं चलाई जा रही हैं। वृद्धों को सम्मान पूर्वक जीवन जीने का अधिकार होना चाहिए। कार्यक्रम के दौरान वार्डन निशा, अनोखी लाल, संगीता, संजय, योगेश व अन्य लोग सभी स्टॉफ मौजूद रहे। 


*ब्यूरो रिपोर्ट सुबोध माहेश्वरी*

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