अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस स्पेशल: महिलायें अपना रही है फालुन दाफा के ‘सत्य, करुणा, सहनशीलता’ के सिद्धांत - Time TV Network

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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस स्पेशल: महिलायें अपना रही है फालुन दाफा के ‘सत्य, करुणा, सहनशीलता’ के सिद्धांत

 


महिलायें कोमल और सुरुचिपूर्ण हैं, जो प्यार से, करुणा से भरी हैं। माताएँ, बहनें, बेटियाँ और पत्नियाँ. .. भूमिकाएँ अलग हैं लेकिन उनके जीवन का सार एक ही है: उनकी ममता और करुणा है जो उन्हें "अंदर से दृढ़ और बाहर से कोमल” बनाती है - उनकी कोमल करुणा कठोर से कठोर दिल को पिघला सकती है। वे शारीरिक रूप से कमजोर हैं, लेकिन आध्यात्मिक रूप से इतनी मजबूत हैं कि जीवन की बड़ी से बड़ी कठिन चुनौतियां भी उन्हें विफल नहीं कर सकती हैं। उनकी सुंदरता सिर्फ शारीरिक नहीं है - बल्कि यह "सौम्य लेकिन दृढ़ दिल" है जो उन्हें उनके जीवन में पुरुषों का पूर्ण साथी बनाता है: जो हैं उनके पिता, भाई, पति और बेटे। कितना अच्छा हो यदि महिलाएं और अधिक करुणामयी हो सकतीं और पुरुष अधिक प्रशंसनीय और सहनशील हो सकते – तो हमारा जीवन, हमारे परिवार, हमारी भावी पीढ़ी ... सभी अधिक सामंजस्यपूर्ण नहीं होते? क्या हम सब यही इच्छा नहीं करते हैं?







दुनिया भर में 10 करोड़ से अधिक लोगों ने अपने जीवन में खुशियों का सामंजस्य फालुन दाफा के "सत्य, करुणा, सहनशीलता" सिद्धांतों में पाया है। फालुन दाफा मन और शरीर की एक प्राचीन साधना पद्धति है जिसमें पांच सौम्य और प्रभावी व्यायाम सम्मिलित हैं। इसे 1992 में चीन में श्री ली होंगज़ी द्वारा सार्वजनिक किया गया था। श्री होंगज़ी को  दुनियाभर में 5,000 से अधिक पुरस्कारों और प्रशस्तिपत्रों से नवाज़ा गया है और नोबेल शांति पुरस्कार व स्वतंत्र विचारों के लिए सखारोव पुरस्कार के लिए भी मनोनीत किया जा चुका है। आज यह अभ्यास दुनिया भर के 80  से अधिक देशों में प्रचलित है। अमरीकी शहर टेक्सास में “बेलोर कॉलेज ऑफ मेडिसिन” में इम्यूनोलॉजी की प्रोफेसर डॉ. लिली फेंग के शोध के अनुसार, फालुन दाफा बीमारियों के विरुद्ध प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने में कारगर है और अभ्यासियों के न्यूट्रोफिल का इन-विट्रो जीवन काल नियंत्रण समूहों की तुलना में 30 गुना अधिक था और वे बेहतर कार्यशील थे।


फालुन दाफा अभ्यास, जो नि:शुल्क सिखाया जाता है, आज देशभर में लोकप्रिय हो रहा है। यह मेडिटेशन लोगों को अच्छा स्वास्थ्य, मानसिक शांति और संतुष्ट जीवन प्राप्त करने में मदद कर रहा है। जानें कुछ महिला फालुन दाफा अभियासी क्या कहती हैं:


चित्रा देवनानी, 61 वर्षीय माँ जो पूरे भारत में ‘फालुन दाफा’ ध्यान की जानकारी सांझी करने के अथक ‘मिशन’ में घूम रहीं हैं: “आज हमारे विश्व को, सत्यता-करुणा-सहनशीलता की जरूरत है, पहले से कहीं ज्यादा। फालुन दाफा ने से बेहतर हुए स्वास्थ्य ने मुझे गहरे आंतरिक आनंद और शांति-भावना से भर दिया है। मैं बच्चों को यह अभ्यास सिखाने के लिए एक स्कूल से दुसरे स्कूल की यात्रा करती हूँ। मुझे बहुत खुशी होती है जब वे मेरे पास वापस आते हैं और साझा करते हैं कि उन्होंने अब झूठ बोलना छोड़ दिया है। हर व्यक्ति स्वाभाविक रूप से अच्छा होता है और अपने जीवन में एक अच्छा इंसान बनना चाहता है, मैं इस खुशी को सबसे सांझा करती रहूँगी।”


डॉ. हरविंदर कौर, पूर्व स्कूल प्रिंसिपल: “मैंने हमेशा एक ईमानदार व्यक्ति बने रहने के लिए अपनी पूरी कोशिश की है, और मैंने हमेशा अपना काम अपने आध्यात्मिक कर्तव्य के रूप में किया है। मेरे फालुन दाफा के अभ्यास के पिछले 13 वर्षों के दौरान, मैंने अपनी ज़िन्दगी सत्य, करुणा और सहनशीलता के मूल्यों के साथ जी है। जैसे ही मैं क्रोध, अहंकार और उन नकारात्मक तत्वों को अपने से दूर करने लगी, मेरा मन हल्का महसूस होने लगा। यह गंदगी से भरी एक बोतल की तरह है—जितना अधिक आप इसे खाली करेंगे, उतना ही वह पानी में ऊपर तैर सकेगी।”


मैत्रेयी रॉय, सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल: “फालुन दाफा के सत्य-करुणा-सहनशीलता के तीन गहन मार्गदर्शक सिद्धांतों से मैंने अपनी खोई हुई आंतरिक शांति को फिर से पा लिया है। मैंने आस-पास की दुनिया और टेंशन से खुद को परेशान करना बंद कर दिया है। यह अभ्यास मेरे लिए उच्च ऊर्जा का स्रोत बन गया है।”

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