दुनिया भर में 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस समय पूरा विश्व कोरोना महामारी के प्रभाव से जूझ रहा है, ऐसे में इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है। आज भले ही कोरोना वाइरस के खिलाफ वैक्सीन उपलब्ध है लेकिन कोरोना का प्रकोप रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है। कोरोना के नए स्ट्रेन का पता लगने से स्थिति और भी कठिन हो गयी है। स्वास्थ्यविदों के अनुसार आपकी प्रतिरोधक शक्ति ही कोरोना जैसे रोगों के लिए दूरगामी उपचार है.
चूंकि इस दौरान बाहरी गतिविधियाँ सीमित हैं, लोगों में घर बैठे ही ऑनलाइन ध्यान अभ्यास सीखने का चलन बढ़ा है। आज हम आपको फालुन दाफा साधना अभ्यास के बारे में बताएँगे जो कोरोना काल में ऑनलाइन वेबिनार के द्वारा लोगों में बहुत प्रचलित हो रहा है और प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने के कारगर है। फालुन दाफा (या फालुन गोंग) मन और शरीर का एक उच्च स्तरीय साधना अभ्यास है। फालुन दाफा में पांच सौम्य और प्रभावी व्यायाम सिखाये जाते हैं, किन्तु बल मन की साधना या नैतिक गुण साधना पर दिया जाता है।
फालुन दाफा व्यायाम व्यक्ति की शक्ति नाड़ियों को खोलने, शरीर को शुद्ध करने, तनाव से राहत और आंतरिक शांति प्रदान करने में सहायता करते हैं। मन और शरीर का एक परिपूर्ण अभ्यास होने के कारण लोगों को कम समय में ही आश्चर्यजनक स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होते हैं।
डॉ. लिली फेंग, बेलोर कॉलेज ऑफ मेडिसिन, टेक्सास में इम्यूनोलॉजी की प्रोफेसर के शोध के अनुसार फालुन दाफा बीमारियों के विरुद्ध प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने में कारगर है। डॉ. लिली फेंग ने सफेद रक्त कोशिकाओं (न्युट्रोफिल) के जीवन काल और कार्य की जांच की जिसमे पाया गया कि फालुन दाफा अभ्यासियों के न्यूट्रोफिल का इन-विट्रो जीवन काल नियंत्रण समूहों की तुलना में 30 गुना अधिक था और वे बेहतर कार्यशील थे। यह कुछ बीमारियों के लिए प्रतिरक्षा और स्वास्थ्य लाभ को दर्शाता है।
फालुन दाफा को पहली बार चीन में मई 1992 में श्री ली होंगज़ी द्वारा सार्वजनिक किया गया। श्री ली होंगज़ी इन्हें स्वतंत्र विचारों के लिए ‘सखारोव पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया और ‘नोबेल शांति पुरस्कार’ के लिए भी मनोनीत किया जा चुका है। फालुन दाफा और इसके संस्थापक, श्री ली होंगज़ी को, दुनियाभर में 1,500 से अधिक पुरस्कारों और प्रशस्तिपत्रों से भी नवाज़ा गया है। आज फालुन दाफा 90 से अधिक देशों में 10 करोड़ से अधिक लोगों में लोकप्रिय है। लेकिन दुःख की बात यह है कि चीन, जो फालुन दाफा की जन्म भूमि है, वहां इसका दमन किया जा रहा है जो आज तक जारी है। फालुन दाफा, जिसे सदैव नि:शुल्क सिखाया जाता है।
यदि आप भी इस अभ्यास को सीखना चाहते हैं तो www.learnfalungong.in पर निःशुल्क वेबिनार के लिए रजिस्टर कर सकते हैं.