बीहड़ों में जाकर डकैतों के बच्चों को भी लगाए टीके, 42 साल की मेहनत को मिला पुरुस्कार lll - Time TV Network

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बीहड़ों में जाकर डकैतों के बच्चों को भी लगाए टीके, 42 साल की मेहनत को मिला पुरुस्कार lll

 व्यूरो रिपोर्ट :- संजय सिंह.......

( मीडिया हाउस )......

आगरा :-

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कहते हैं यदि मन लगाकर काम किया जाए तो सफलता अवश्य मिलती है। कुछ ऐसा ही स्वास्थ्य निरीक्षिका नीरज बाला कुलश्रेष्ठ के साथ हुआ। उनकी 42 साल की मेहनत को राज्य सरकार की ओर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मिशन शक्ति पुरुस्कार से नवाजा गया। अब उनके पास शुभकामना संदेशों की लंबी लाइन लग गई है।



शहरी स्वास्थ्य केंद्र हरीपर्वत पश्चिम पर तैनात स्वास्थ्य निरीक्षिका नीरज बाला कुलश्रेष्ठ बताती हैं कि उनकी पहली तैनाती 1989 में पिनाहट स्वास्थ्य केंद्र पर हुई थी। पिनाहट बीहड़ क्षेत्र है और उस वक्त वो डकैत प्रभावित क्षेत्र था। वहां के गांव में दूर-दूर तक सड़कें नहीं होती थीं। ऐसे में इन गांव में स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने के लिए विभाग को काफी मशक्कत करनी पड़ती थी। पोलियो अभियान के दौरान गांव-गांव जाकर बच्चों को दवाएं पिलाती और टीका लगाती थीं। नीरज बताती हैं कि फिलहाल लोग काफी जागरुक हैं और कोविड-19 का टीकाकरण कराने के लिए स्वयं आगे आ रहे हैं। लेकिन पहले लोग दवा पिलवाने और टीका लगवाने के लिए तैयार नहीं होते थे। उस वक्त बच्चों के अभिभावकों की काउंसलिंग करनी पड़ती थी, वहां के प्रभावशाली लोगों से कहलवाकर उन्हें समझाना पड़ता था। नीरज बताती हैं कि हम बीहड़ों में जाकर डकैतों के बच्चों को भी टीका लगाते थे। उनके बच्चे बीमार पड़ जाते तो हम उन्हे समझाते कि आप अपने अन्य बच्चों को मीजल्स का टीका लगवा  लीजिए। तब जाकर वे इसके लिए राजी होते। 

ट्रक से करना पड़ता था सफर,

नीरज बताती हैं कि उनका घर शहर में था और वे अपने दोनों बच्चों को घर छोड़कर बस से ड्यूटी जाती थीं। लेकिन लौटते वक्त पांच बजे के बाद बस नहीं मिलती थी। इस कारण पिनाहट से फतेहाबाद तक ट्रक में सफर करना पड़ता था, इसके बाद बस से वे वापस आगरा आती थीं।

कोविड काल में रहा अलग अनुभव....

नीरज बताती हैं कि 42 साल के कैरियर में सबसे मुश्किल और डरावना समय कोविडकाल रहा। इस दौरान सभी के मन में डर था। लेकिन विभाग के सभी लोग डटे रहे। हम भी लगातार फील्ड में हॉटस्पॉट क्षेत्रों में जाकर कॉन्ट्रैक्ट ट्रेसिंग और निरीक्षण करते थे। इस दौरान उनके बच्चों को काफी डर था कि मां को कुछ न हो जाए। लेकिन सुरक्षा के साथ काम करने से मुझे और मेरे साथियों को कोई परेशानी नहीं हुई। नीरज ने कहा कि अब हम कोविड-19 टीकाकरण अभियान में काम कर रहे हैं और डेली 100 से अधिक लोगों का टीकाकरण कर रही हैं। नीरज ने कहा कि मैं सभी से कहना चाहूंगी कि अपना काम ईमानदारी और लगन के साथ करना चाहिए, इसका प्रतिफल आपको अवश्य मिलता है।





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