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अलीगढ़ पुलिस की बड़ी कामयाबी –सुलझी परतापुर हत्याकांड की गुत्थी

 

अलीगढ़ | 25 अप्रैल को परतापुर गांव में एक लड़के आमोद कुमार की हत्या हो गयी थी तथा दो लोगों को गंभीर चोटें आयी थीं घटना की प्रार्थमिकी पटियाली थाने में दर्ज कराई गयी थी जिसमे हत्या का आरोप शिवमंगल सिंह निवासी परतापुर पर लगाया गया था |  और पुलिस ने उनको गिरफ्तार कर जिला जेल कासगंज भेज दिया था जो अभी भी जिला कारागार में बंद हैं। साथ ही उनके पुत्र कमांडर पर ब्रजराज की जांघ में गोली मारने का आरोप था |


कमांडर ने जिला न्यायलय के सामने जून महीने में आत्मसमर्पण कर दिया था और वो भी जिला कारागार में बंद हैं। पुलिस उपमहानिरीक्षक अलीगढ ने पुलिस कार्यवाही में अनियमितताओं को देखते हुए निष्पक्ष विवेचना अलीगढ एस पी देहात से कराने का निर्णय लिया और 30 जून 2021 को विवेचना कासगंज से अलीगढ स्थानांतरित कर दी गयी। 6 अक्टूबर को माननीय कासगंज जिला न्यायलय में जिला सेसन जज के समक्ष हुयी जमानत बहस पर सुनवाही के दौरान चौंकाने वाले तथ्य सामने आये जिनने सबको हैरान कर दिया। एस पी देहात अलीगढ के निरिक्षण में सम्पादित विवेचना में खुलासा हुआ की हत्या का असली कारण अनैतिक सम्बन्ध प्रधानी का चुनाव और रंजिश है। जिसमे सुरजीत ने आमोद की हत्या की और ब्रजराज तथा राजीव के साथ मिलकर पूरा षणयंत्र रचा जिसमे राजीव और ब्रजराज ने अपनी चोटें बनायीं जो मेडिकल रिपोर्ट में असत्य पायी गयी और उनको बुलेट इंजरी होने से साफ़ नकार दिया गया। डाक्टर विनोद कुमार शर्मा ने इसकी पुष्टि की। पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर कुलदीप सिंह एवं डॉक्टर प्रशांत कुमार ने अपनी रिपोर्ट में बताया की आमोद के आमाशय में अधपचा खाना मिला है जो बताता है की हत्या से कुछ घंटे पहले ही मृतक ने भोजन किया था जबकि प्राथमिकी रिपोर्ट में दिखाया गया था कि मृतक खेत से काम करके आया था जो असत्य पाया गया। इस बात की पुष्टि स्वंतंत्र गवाहों के वयानों से हुयी जिन्होंने शपथ पत्र देकर कहा है की घटना के दिन पास के गांव चंदपुरा में भंडारे की दावत थी और आमोद दावत खाने गया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ये भी खुलासा हुआ कि गोली ऊंचाई से मारी गयी जिसको विवेचना में तेलिओं के मोहल्ले में बनी सीढ़ीओं से मारना बताया गया जबकि प्राथमिकी रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि गोली सामने से मारी गयी है जो असत्य पाया गया। ब्रजराज ने मनगढंत चोट बनायीं जो जांघ में ऊपर और नीचे थी मगर आरपार नहीं थी ऐसी चोट गोली लगने ने बन ही नहीं सकती। घटना की सत्यता सिद्ध करने में मुख्य शाक्ष्य घटना के फोटोग्राफ्स आरोपिओं और गवाहों की मोबाइल सी डी आर स्वतंत्र गवाहों के बयान तथा अन्य सबूत मुख्य कड़ी रहे। अपराध कि गंभीरता को देखते हुए माननीय जिला न्यायालय ने जमानत अर्जी को निरस्त कर दिया।


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