भारत और चीनी की सेना के बीच लद्दाख में सीमा पर और अधिक झड़पें हो सकती हैं। सुरक्षा आकलन का हवाला देते हुए समाचार एजेंशियों ने कहा है कि इसके पीछे सबसे बड़ी वजह बीजिंग का क्षेत्र में सैन्य बुनियादी ढांचे को मजबूत करना है।
रिपोर्ट में दावा किया गया कि यह आंकलन लद्दाख पुलिस द्वारा एक नए गोपनीय शोध पत्र का हिस्सा है, जिसे 20 से 22 जनवरी तक आयोजित शीर्ष पुलिस अधिकारियों के एक सम्मेलन में प्रस्तुत किया गया था।
सीमा पर भारत और चीनी सैनिकों के बीच झड़प जून 2020 में गलवान घाटी में भीषण संघर्ष के रूप में पहली बार सामने आया था। लद्दाख में भीषण संघर्ष के बाद भारत और चीन के बीच संबंधों में काफी गिरावट आई है। गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद भारत और चीन के रिश्तों में दशकों बाद खटास आई है। इससे न सिर्फ सैन्य बल्कि कूटनीतिक वार्ता भी प्रभावित हुई है। इस संघर्ष में भारत की तरफ से एक कमांडर सहित 20 जवानों ने शहादत दी थी।
इसके बाद पिछले सितंबर में, भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स क्षेत्र में पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 पर झड़प सामने आई थी। दिसंबर महीने में अरुणाचल प्रदेश के तवांग में दोनों पक्षों के बीच एक ताजा झड़प हुई है। हालांकि इसमें कोई मौत नहीं हुई। रॉयटर्स की रिपोर्ट में कहा है कि आकलन सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थानीय पुलिस द्वारा एकत्रित खुफिया जानकारी और वर्षों से भारत-चीन सैन्य तनाव के पैटर्न पर आधारित है।
इसने दावा किया है कि भारतीय सेना ने इस टिप्पणी के अनुरोध का जवाब नहीं दिया, लेकिन यह मूल्यांकन महत्व रखता है क्योंकि यह प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में प्रस्तुत किया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी विदेश मंत्रालय ने भी टिप्पणी के अनुरोध का जवाब नहीं दिया।
रिपोर्ट में कहा गया है, "चीन में घरेलू मजबूरियों और क्षेत्र में उनके आर्थिक हितों को देखते हुए पी.एल.ए. (चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) अपने सैन्य बुनियादी ढांचे का निर्माण करना जारी रखेगी और झड़पें भी अक्सर होती रहेंगी, जो एक पैटर्न का पालन कर सकती हैं या नहीं भी कर सकती हैं।"
रिपोर्ट के मुताबिक, “अगर हम झड़पों और तनाव के पैटर्न का विश्लेषण करें, तो 2013-2014 के बाद से हर दो-तीन साल के अंतराल के साथ इसमें वृद्धि हुई है।
पीएलए द्वारा चीनी पक्ष पर बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे के निर्माण के साथ दोनों सेनाएं एक-दूसरे की प्रतिक्रिया और ताकत का परीक्षण कर रही हैं।
आपको बता दें कि भारत और चीन 3,500 किमी लंबी सीमा साझा करते हैं जो 1950 के दशक से विवादित है। 1962 में दोनों पक्षों के बीच इस पर युद्ध भी हुआ था।