डायरिया होने पर भी माँ बच्चे को स्तनपान जारी रखें : डॉ. दिनेश शर्मा
डायरिया होने पर ओ.आर. एस का घोल दें, व 14 दिन तक बच्चे को ज़िंक की गोली दें
कासगंज 18 जून 2023।
बदलते मौसम में डायरिया से ग्रसित बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। डायरिया के कारण बच्चो में अत्यधिक निर्जीलिकरण (डिहाइड्रेशन) होने से समस्याएं बढ़ जाती है। और कुशल प्रबंधन के अभाव में यह जानलेवा भी हो जाता है। जिससे बच्चे की मृत्यु भी हो सकती है। डायरिया शिशु मृत्यु के मुख्य कारणों में एक है। इसके लिए डायरिया के लक्षणों के प्रति सतर्कता एवं सही समय पर उचित प्रबंधन करना जरूरी है। जिससे कि गंभीर रोग से आसानी से बचा जा सकता है, यह जानकारी नोडल अधिकारी डॉ. मनोज शुक्ला ने दी।
किसरौली की रहने वाली 26 वर्षीय सुमन ने बताया कि दस दिन पहले उनकी डेढ़ वर्षीय बेटी आयुषी को दस्त और उल्टी हो रहे थे। उस दौरान आशा बहन जी टीका लगवाने के लिए बुलाने आई। सुमन ने आशा बहनजी को बताया कि आयुषी को तीन चार दिन से उल्टी दस्त हो रहें हैं। डॉक्टर से दवाई दिलाने पर भी कोई फायदा नहीं मिला। फिर आशा बहनजी ने आयुषी के पेट की खाल पकड़ कर देखी पेट की खाल बहुत धीरे धीरे नीचे जा रही थी। फिर आशा बहनजी ने दो ओ आर एस के पेकेट व 14 ज़िंक की गोली दी, और बताया कि एक साफ बर्तन में एक लीटर पानी को उबालकर ठंडा करके पूरा ओ आर एस का पेकेट डाल दें। ज़ब भी बच्चा पानी मांगे यही पानी पिलाएं। इसी तरह जिंक की एक गोली (20 mg) साफ पानी में या माँ के दूध में घोलकर पिलाएँ। इस दौरान दस्त बंद होने पर भी ज़िंक की गोली बंद नहीं करनी चाहिए पूरे 14 दिन खिलानी है। और साफ सफाई का ख्याल रखना है। सुमन ने बताया ओआर एस और ज़िंक के उपचार के बाद आयुषी बिल्कुल स्वास्थ्य है।
डॉ. शुक्ला ने बताया कि वर्तमान समय में जिले में अप्रैल माह में कुल 8 लोग डायरिया से ग्रसित थे। जबकि मई से अबत क कुल 35 डायरिया मरीज़ हैं, जिसमे 9 बच्चे शामिल हैं। जिनका इलाज संयुक्त चिकित्सालय मामो में चल रहा है। संयुक्त जिला चिकित्सालय सहित ग्रामीण क्षेत्रों में डायरिया का वार्ड भी बना हुआ है। जिसमें डायरिया का मरीज़ आने पर भर्ती कर इलाज की निःशुल्क व्यवस्था की जाती है।उनका कहना है कि मौसमी बदलाव में बच्चों को डायरिया से बचाने के लिए साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखना जरुरी है। खासकर माँ अपने बच्चे के लिए साफ-सफ़ाई का विशेष ध्यान रखें। बार-बार डायरिया होने से बच्चे का वजन गिर सकता है जिससे वह कुपोषित हो सकता है। ऐसे में बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से इसमें रोगों से लड़ने की क्षमता कम होने की वजह से और भी संक्रामक बीमारियां होने का खतरा बड़ जाता है।
उन्होंने बताया कि पीने का पानी साफ बर्तन में होना चाहिए। पीने का पानी हमेशा ढक कर रखें। पानी को निकालने के लिए डंडीदार लौटे का प्रयोग करें। खुद की व आस-पास की सफाई पर ध्यान दें, स्तनपान कराने से पहले, खाना बनाते व खिलाते समय, खाना खाने से पहले, शौच के बाद, बच्चे के मल को निपटाने के बाद हाथों को साबुन पानी से अच्छी तरह साफ करे। खुले में शौच न कराएं, बच्चे के मल को निपटाने के लिए शौचालय का प्रयोग करें। डायरिया से बचाव के लिए यह सावधानीया बरतनी चाहिए।
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि माँ बच्चे को छह माह तक केवल स्तनपान ही कराए। पानी, शहद, घुट्टी एवं ऊपरी आहार में कुछ भी न दें, क्योंकि यह सब बच्चे में डायरिया होने का कारण बन सकता है। 6 माह तक के बच्चे को डायरिया होने पर माँ बच्चे को केवल स्तनपान ही कराएं इसे रोके नहीं बार बार माँ का दूध ही दें, जिससे बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहे। उन्होंने बताया कि छह माह से ऊपर के बच्चों को डायरिया होने पर डॉक्टर की सलाह अनुसार उसे ओ.आर. एस का घोल दें, और पूरी तरह से डायरिया ठीक न हो तब तक घोल जारी रखें, 14 दिन तक बच्चे को ज़िंक की गोली दें, दस्त रुकने पर भी ज़िंक बंद न करें। स्थिति सही न होने पर डॉक्टर से जाँच जरुर कराये, और डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही उपचार कराएं।
डॉ. शर्मा ने बताया कि डायरिया संक्रामक बीमारी है। जहां कहीं भीं गंदगी होती है वहां इसके कीटाणुओं का वास रहता है। इसके साथ सफाई नहीं रहने के कारण भी इस यह बीमारी तेजी से फैलता है। जिसमें कई जानें भी चली जाती है। इस बीमारी में दस्त अधिक होता है। इसके साथ उल्टी भी होती है। धीरे-धीरे शरीर से पानी कम होता जाता है। इसलिए इसमें सावधानी बरतना जरूरी है। यदि स्वयं की स्वच्छता पर ध्यान दें तो इस बीमारी से बचा जा सकता है।
*डायरिया के लक्षण*
लगातार पतले दस्त होना
दस्त के साथ उल्टी का होना
निर्जीलिकरण
भूख न लगना।
चिड़चिड़ापन
ऑंखें धसना
दस्त के साथ हल्का बुखार होना
दस्त में खून आना
*डायरिया के कारण*
दूषित पानी पीने-बासी भोजन करने-पानी या भोजन सामग्री को ढंक कर नहीं रखना।
खाना जहां बनता हो वहां सफाई नहीं रहना।
खाना परोसने के समय हाथों की सफाई नहीं करना।
खाना खाने वालों द्वारा हाथ की सफाई नहीं करना।