कभी कभी ऐसे मामले सामने आते हैं कि जो लोग शादी का वादा करतें हैं और बड़े बड़े झांसे देते हैं ऐसी स्थिति में शादी का वादा कर सेक्स संबंध बनाने और विवाह नहीं होने पर रेप का केस दर्ज किए जाने के मामले में उड़ीसा हाई कोर्ट ने अपना अहम फैसला व्यान है। उड़ीसा कोर्ट ने कहा है कि दोनों पक्षों की सहमति से बने शारीरिक संबंध को रेप नहीं माना जा सकता है। चाहे वह शादी के वादे पर आधारित हो और किसी कारणवश वादा पूरा नही किया जा सका हो।
वहीं एक मामला सामने आया है जहां भुवनेश्वर के एक शख्स पर लगे बलात्कार के आरोप को कोर्ट ने खारिज कर दिया। उनके खिलाफ एक महिला के जरिये आरोप एक लगाया गया था। वह महिला का दोस्त भी है। महिला का अपने पति के साथ 5 साल से वैवाहिक क्लेश चल रही है।
न्यायाधीश RK पटनायक ने दिया आदेश
न्यायाधीश RK पटनायक ने कहा कि याचिकाकर्ता ने आरोपी के खिलाफ धोखाधड़ी जैसे कई आरोप लगाए हैं। इन पर जांच चलती रहेगी। उड़ीसा कोर्ट ने कहा है कि नेक इरादे से किया गया वादा लेकिन बाद में पूरा नहीं किया जा सकने वाला वादा तोड़ने और शादी का झूठा वादा करने के बीच सूक्ष्म अंतर है। शादी का वादा झूठा इस आधार पर शारीरिक संबंध बनाने के लिए IPC की धारा 376 के तहत अपराध नहीं बनता है।
शादी का वादा कर बना शारीरिक संबंध रेप नहीं माना जा सकता- सुप्रीम कोर्ट
आपको बताते चलें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में कहा था कि अगर शादी का वादा कर शारीरिक संबंध बनाया जाता है और किसी कारण से वादा पूरा नहीं होता है तो उसे रेप नहीं कहा जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश 22 November 2018 को ध्रुवराम मुरलीधर सोनार vs महाराष्ट्र राज्य के मामले में सुनाया था। उड़ीसा हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का भी जिक्र किया। उड़ीसा हाईकोर्ट ने कहा कि एक खराब रिश्ता जो दोस्ती से शुरू हुआ हो उसे हमेशा अविश्वास का उत्पाद नहीं बताया जाना चाहिए। पुरुष साथी बलात्कार का आरोप नहीं लगाया जाना चाहिए। (don't enquiry any news by time tv).