- मैनपुरी में 9 से 20 सितंबर तक एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) अभियान संचालित हो रहा है
- जिले में 195 टीमें घर-घर जाकर लक्षणों के आधार पर टीबी मरीजों की खोज कर रही है
- बांझपन के कारणों में टीबी भी एक बड़ा कारक
मैनपुरी, 17 सितंबर 2024।
राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत नए टीबी मरीजों को खोजने के लिए 9 से 20 सितंबर तक एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) अभियान संचालित हो रहा हैं। सक्रिय टीबी रोगी खोज अभियान की शुरुआत नौ सितंबर की गई थी। इसी क्रम में 195 टीमें घर-घर जाकर लक्षणों के आधार पर नए टीबी मरीजों की खोज कर रही है। अभियान के सफल क्रियान्वन और सहयोगात्मक पर्यवेक्षक के लिए 35 सुपरवाइजर नियुक्त किए गए हैं जो कार्य क्षेत्र में जाकर टीमों का सहयोग कर रहे हैं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आरसी गुप्ता ने बताया कि अभियान के दौरान शहरी और ग्रामीण क्षेत्र की 25 प्रतिशत आबादी को कवर किया जा रहा हैं। हमें अपने देश को 2025 तक टीबी मुक्त करने के लिए जरूरी है कि प्रत्येक टीबी मरीज तक पहुंच बनाकर उनको जांच एवं उपचार प्राप्त कराया जाए। इसी कड़ी में टीबी मरीजों को घर-घर जाकर खोजा जा रहा है। टीबी का मरीज चिह्नित होने पर उसका निक्षय पोषण योजना में पंजीकरण कर उपचार के साथ उसे खाते में पोषण के लिए प्रतिमाह 500 रुपए की धनराशि दी जाती है। उन्होंने ने बताया कि यह महत्वपूर्ण अभियान है, सभी स्वास्थ्य कर्मी इसमें मनोयोग से लगे हुए हैं। मेरी सभी से अपील है कि एसीएफ से संबंधित टीम आप के घर आए तो उनका सहयोग करें, साथ ही लक्षण के आधार पर अपने परिवार की जानकारी दें और आप के संज्ञान में अगर कोई ऐसा व्यक्ति है जिसे दो सप्ताह से अधिक समय से खांसी आ रही है या बुखार की समस्या है, बलगम में खून आता है, भूख कम लगती और वजन तेजी से कम हो रहा है, रात में पसीना आता, गले में कोई गांठ (लिम्फनोड) है। वह महिलाएं भी अपनी टीबी की जांच कराएं जो बांझपन की समस्या से जूझ रही हैं, ऐसी महिलाओं को भी टीबी होने का खतरा बढ़ जाता है। बांझपन के कारणों में टीबी भी एक बड़ा कारक हैं तो इसकी जानकारी टीम को अवश्य प्राप्त कराएं l
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. आशुतोष कुमार ने बताया कि क्षय रोग यानि टीबी एक गंभीर बीमारी है। इसके उन्मूलन के लिए भारत सरकार द्वारा वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त भारत की संकल्पना की गई है। इसी क्रम में एसीएफ अभियान के दौरान जनपद मैनपुरी की कुल जनसंख्या लगभग 22.30 लाख की हैं जिसमें से 5 लाख 42 हजार को मैप किया जा रहा हैं । अभियान के दौरान स्लम, घनी आबादी वाले क्षेत्र, मलिन बस्तियां, हाई रिस्क जनसंख्या (एचआईवी एवं डायबिटीज) अनाथालय, वृद्धाश्रम, नारी निकेतन, बाल संरक्षण गृह, मदरसा, नवोदय विद्यालय, कारागार (जेल), मजदूरों, श्रमिक जगहों, तथा टीबी मुक्त पंचायत को चिन्हित करते हुए कार्य हो रहा हैं। इस कार्यक्रम में स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों द्वारा टीबी के संभावित लक्षणों वाले व्यक्तियों की पहचान करते हुये उन्हें टीबी के लक्षणों के बारे में बताया जा रहा हैं साथ ही संभावित मरीज के बलगम नमूने एकत्र कर उसकी जांच हेतु निकटतम जांच केन्द्रों पर भेजा जाता हैं । जांच में टीबी की पुष्टि होने पर मरीज का गाइडलाइन के अनुसार उपचार किया जायेगा। इस कार्यक्रम में 35 सुपरवाइजरों के साथ 195 टीमें कार्य कर रही हैं। प्रत्येक टीम में 03 सदस्य हैं। एसीएफ अभियान के दौरान टीमों ने 9 सितंबर अब तक 102 नए टीबी मरीजों की खोज की है, सभी नए टीबी मरीजों को का उपचार शुरू हो गया है।
जिला कार्यक्रम समन्वयक मोनिका यादव ने बताया कि टीमों को उस विशेष जगह पर भी जांच करनी है, जहां टीबी के मरीज ज्यादा पाए गए थे या जहां पर टीबी के मरीज मिलने की संभावना ज्यादा रहती है। स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर-घर रोगियों को खोजने के लिए जाएंगे। उन्होंने लोगों से अपील की है कि टीबी के रोग को छिपाएं नहीं, बल्कि जांच कराकर उपचार को शुरू कराए। टीबी रोग का समय से उपचार शुरू करके टीबी को मत देकर पूरी तरह स्वस्थ हो सकते हैं।
प्रभारी जिला स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी रवींद्र सिंह गौर ने बताया कि क्षय रोग से संबंधित अधिक जानकारी के लिये सम्पर्क करें राष्ट्रीय टोल फ्री नम्बर 1800116666 पर ।
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करपिया टीम की फर्स्ट मेंबर आशा देवी ने बताया कि भ्रमण के दौरान अगर कोई संभावित टीबी मरीज मिलता है तो उसको उसके परिवार को टीबी से संबंधित जानकारी देते हैं साथ ही उसको दो डिब्बी बलगम एकत्र करने के लिए देते हैं | एक डिब्बी में बलगम तुरंत ले लेते हैं और दूसरी डिब्बी का बलगम अगले दिन कार्य शुरू करने से पहले प्राप्त कर लेते हैं, एकत्र बलगम को जांच हेतु टीबी यूनिट पर जमा करते हैं संभावित टीबी मरीज मिलता है तो उस घर पर मार्किंग के दौरान मकान नंबर पर गोला करके मार्क कर दिया जाता दिया जाता है l
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संभावित क्षय रोगियों को खोजे जाने हेतु क्षय रोग के लक्षण
-दो सप्ताह से अधिक खाँसी
-दो सप्ताह से अधिक बुखार
-बलगम में खून आना
-भूख में कमी
-वजन का कम होना
-रात में पसीना आना
-गले में गांठ (लिम्फनोड)
-महिलाओं में बांझपन की समस्या इत्यादि ।