चन्दन हत्याकांड के 28 आरोपियों को सजाये उम्रकैद, NIA कोर्ट का फैसला। 7 साल बाद चन्दन के परिवार को मिली कुछ राहत की सांस। चंदन के पिता बोले फैसला देर से सही लेकिन जीत सत्य की हुई, मेरे बेटे को न्याय मिला। - Time TV Network

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चन्दन हत्याकांड के 28 आरोपियों को सजाये उम्रकैद, NIA कोर्ट का फैसला। 7 साल बाद चन्दन के परिवार को मिली कुछ राहत की सांस। चंदन के पिता बोले फैसला देर से सही लेकिन जीत सत्य की हुई, मेरे बेटे को न्याय मिला।

NIA कोर्ट का फैसला तिरंगा यात्रा के दौरान चंदन गुप्ता हत्याकांड में 28 आरोपियों को गुरुवार को दोषी करार घोषित करने के बाद शुक्रवार को उम्रकैद की सजा सुनाई। दो आरोपियों को इस हत्या के मामले से बरी कर दिया गया।


          कासगंजः उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की विशेष NIA कोर्ट ने चंदन गुप्ता हत्याकांड में 28 आरोपियों को गुरुवार को दोषी करार देने के बाद शुक्रवार को उम्रकैद की सजा सुनाई। दो आरोपियों को इस हत्या के मामले से बरी कर दिया गया है। एनआईए कोर्ट के फैसले से 7 साल पुराना वह केस एक बार फिर चर्चा में आ गया है। चंदन गुप्ता की हत्या 26 जनवरी 2018 को कर दी गई थी। दरअसल, चंदन गुप्ता और उसके साथी तिरंगा यात्रा का आयोजन कर रहे थे। इसी दौरान फायरिंग में चंदन की मौत हो गई। इस मामले को लेकर उसके पिता ने लंबी कानूनी लड़ाई। आखिरकार कोर्ट ने इस हत्याकांड मामले में 30 में से 28 आरोपियों को दोषी करार दिया था। शुक्रवार को कोर्ट ने फैसले का ऐलान किया। सभी दोषी अब उम्रकैद की सजा काटेंगे कासगंज में 26 जनवरी, 2018 को चंदन गुप्ता की हत्या कर दी गई थी। उसकी मौत के बाद कासगंज में दंगे हुए थे। हालात इतने बिगड़ गए थे कि प्रशासन को इंटरनेट बंद करना पड़ा था। करीब एक हफ्ते तक कासगंज में जगह-जगह दंगे हुए थे। हिंदू युवा वाहिनी के करीब 100 कार्यकर्ता बाइक पर तिरंगा और भगवा झंडा लेकर निकले।


चंदन गुप्ता भी इसी भीड़ में शामिल था। प्रशासन ने यात्रा निकालने की इजाजत नहीं दी थी, लेकिन ये लोग नहीं माने। छोटी-छोटी गलियों वाले कासगंज कोतवाली इलाके में घुस गए। ये लोग मुस्लिम आबादी वाले बड्डू नगर की एक गली से गुजरने की जिद करने लगे। वहां स्थानीय लोग पहले से गणतंत्र दिवस का कार्यक्रम कर रहे थे। तभी नारेबाजी शुरू हो गई। माहौल बिगड़ा और दोनों तरफ से पथराव शुरू हो गया। एक गोली चली, जो सीधे चंदन को लगी। उसे अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वो बच नहीं पाया। मौत की खबर फैलते ही कासगंज शहर में दंगा शुरू हो गया। हालात बिगड़ने की आशंका से बाजार बंद करा दिए गए ।तत्कालीन सांसद राजवीर सिंह और IG मौके पर पहुंचे। प्रदर्शन के बीच दोपहर 2 बजे आरोपियों पर कार्रवाई का भरोसा मिलने पर शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया। शाम 7 बजे पोस्टमॉर्टम के बाद चंदन का शव घर लाया गया।इसके बाद शहर में तनाव फैलने लगा। पूरे शहर में PAC और फोर्स तैनात कर दी गई। लखनऊ से अफसर और मंत्री अपडेट लेते रहे। रात 12 बजे केस दर्ज कर 31 लोगों को आरोपी बनाया गया। मुख्य आरोपी तीन भाई सलीम, वसीम और नसीम को बनाया गया। इस मामले में दिसंबर, 2018 में पुलिस ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की। 2019 में ट्रायल शुरू हुआ। 24 जनवरी, 2019 को चंदन की बहन कीर्ति को लोकमित्र के पद पर जॉइनिंग दी गई। 5 जुलाई, 2019 को कीर्ति को पद से हटा दिया गया। 2020 में दो मुख्य आरोपी वसीम और नसीम जमानत पर जेल से बाहर आ गए। परिवार की CM से अपील के बाद नवंबर 2021 में केस लखनऊ की NIA कोर्ट में ट्रांसफर हो गया।

तब से सुनवाई चल रही थी। नसरुद्दीन और असीम कुरैशी को सबूत के अभाव में बरी कर दिया था। जबकि एक आरोपी 1 अजीजुद्दीन की मौत हो चुकी है। जिन 28 आरोपियों को सजा हुई। इनके नाम हैं- वसीम, नसीम, जाहिद, आसिफ, असलम, अकरम, तौफीक, खिल्लन, शवाब अली, राहत, सलमान, मोहसिन, आसिफ, साकिब, बबलू, जीशान, वासिफ, इमरान, शमशाद, जफर, साकिर, खालिद परवेज, फैजान, इमरान, साकिर, आमिर रफी, मुनाजिर और सलीम। इनमें से 26 आरोपी लखनऊ जेल में बंद हैं। मुनाजिर कासगंज जेल में बंद है।  चन्दन की मां संगीता गृहिणी हैं। भाई विवेक गुप्ता सरकारी राशन की दुकान चलाते हैं। मां संगीता ने कोर्ट से दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग की थी। और कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुना दी।

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