अगर छोटे बच्चों को जरा भी दिक्कत हो तुरन्त संज्ञान लेकर उसका इलाज कराये लापरवाही ना करें वरना , लापरवाही पड़ सकती है भारी। उपचार न लेने पर फेफड़ों में संक्रमण होने लगता है। लापरवाही होने पर समस्या गंभीर हो जाती है। ऐसे में समय से चिकित्सक से उपचार आवश्यक होता है। लापरवाही से बच्चे की जान का खतरा बढ़ जाता है
ठंड के मौसम में बच्चों में निमोनिया का खतरा बढ़ गया है। कासगंज के जिला अस्पताल के बाल रोग विभाग में बच्चों की भीड़ बढ़ गई है। अस्पताल में बीमारियों की चपेट में आने वाले बच्चों में दस प्रतिशत निमोनिया से पीड़ित निकल रहे हैं।
जिले में पड़ रही कड़ाके की ठंड का असर बच्चों की सेहत पर देखा जा रहा है। 12 साल से कम आयु के बच्चों पर मौसम का सबसे अधिक असर देखा जा रहा है। इस आयु वर्ग के 150 तक बच्चे सर्दी, खांसी, जुकाम, बुखार की चपेट में आकर जिला अस्पताल पहुंच रहे
इनमें से 15 से 20 तक बच्चों में निमोनिया निकल रहा है। 70 से 75 बच्चों को सांस लेने में दिक्कत तक की समस्या आ रही है। दो से तीन बच्चों को भर्ती तक करना पड़ रहा है। बाल रोग विशेषज्ञ दिनेश बाबू ने बताया कि निमोनिया में सांस की समस्या होने लगती है
समय से उपचार न लेने पर फेफड़ों में संक्रमण होने लगता है। लापरवाही होने पर समस्या गंभीर हो जाती है। ऐसे में समय से चिकित्सक से उपचार आवश्यक होता है। लापरवाही से बच्चे की जान का खतरा बढ़ जाता है। पांच साल तक की आयु के बच्चों के लिए विशेष सावधानी की आवश्यकता होती है। 15 से 20 बच्चों में निमोनिया मिल रहा है। सीएमएस डॉ. संजीव सक्सेना ने बताया कि ठंड के मौसम में बच्चों में निमोनिया के मामले सामने आ रहे हैं। अस्पताल में बच्चों के इलाज के लिए पर्याप्त इंतजाम हैं।